Avtaran Chinh
अवतरण चिन्ह की परिभाषा (Avtaran Chinh Ki Paribhasha)
किसी महत्वपूर्ण कथन को ज्यों-का-त्यों लिखने के लिए जिस संकेत चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उसे अवतरण चिन्ह कहते हैं। इस चिन्ह को उद्धरण चिन्ह या उपरिविराम के नाम से भी जाना जाता है। जिस कथन को ज्यों-का-त्यों लिखना हो, उस कथन के दोनों ओर इस चिन्ह को लगाया जाता है।
दरअसल, जब हम किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कही गई बात को, लिखित रूप में, हू-ब-हू प्रस्तुत करते हैं तो अवतरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
अवतरण चिन्ह के उदहारण (Avtaran Chinh Ke Udaharan)
- सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
- ‘ईदगाह’ मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी है।
- ‘निराला’ हिंदी के महान कवि थे।
- स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, “ख़ुद को कमजोर समझना पाप है।”
- जयशंकर ‘प्रसाद’ ने ‘कामायनी’ में कहा है कि “नारी तुम केवल श्रद्धा हो।”
अवतरण चिन्ह के वाक्य (Avtaran Chinh Ke Vakya)
- शंकर के ‘पैर’ में चोट लगी है।
- मनुष्य का ‘जागरुक’ होना आवश्यक है।
- महावीर ने कहा, “अहिंसा परमोधर्म:।”
- ममता ने मुझसे कहा, “मैं तुमसे प्रेम करती हूँ।”
अवतरण चिन्ह के प्रकार (Avtaran Chinh Ke Prakar)
अवतरण चिन्ह के दो प्रकार होते हैं- इकहरा अवतरण चिन्ह और दुहरा अवतरण चिन्ह।
- इकहरा अवतरण चिन्ह
- दुहरा अवतरण चिन्ह
इकहरा अवतरण चिन्ह (Ikhara Avtaran Chinh)
इकहरा अवतरण चिन्ह का संकेत चिन्ह (‘ ‘) होता है। किसी शब्द या वाक्यांश को उद्धृत करने के लिए जिस संकेत चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उसे इकहरा अवतरण चिन्ह कहते हैं।
इकहरा अवतरण चिन्ह के उदाहरण (Ikhara Avtaran Chinh Ke Udaharan)
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- ‘राजस्थान पत्रिका’ हिंदी का महत्वपूर्ण अखबार है।
- रवि जिस पत्रिका का संपादक है उसका नाम ‘प्रकाश’ है।
- ‘ईदगाह’ मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी है।
- ‘निराला’ हिंदी के महान कवि थे।
इकहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग (Ikhara Avtaran Chinh)
- इकहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग किसी कवि का उपनाम, कविता का शीर्षक, पुस्तक का नाम या पत्र-पत्रिका का नाम उल्लेखित करने के लिए किया जाता है।
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- ‘गोदान’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यास है।
- ‘अग्निपथ’ हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता है।
- ‘राम चरित मानस’ के रचयिता तुलसीदास हैं।
- वाक्य में, किसी अक्षर, शब्द या वाक्यांश को उल्लेखित करने के लिए भी इकहरे अवतरण चिन्ह का प्रयोग करते हैं।
- हिंदी में ‘ॠ’ (दीर्घ ऋ) का प्रयोग नहीं किया जाता।
- मनुष्य का ‘जागरुक’ होना आवश्यक है।
- ‘शिक्षा’ व्यापक शब्द है।
इकहरा अवतरण चिन्ह के वाक्य (Ikhara Avtaran Chinh Ke Vakya)
- चारों ओर से ‘भागो’ ‘भागो’ की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
- शंकर के ‘पैर’ में चोट लगी है।
- पवन राजस्थान विश्वविद्यालय का ‘फेलो’ रहा है।
- इस पुस्तक को ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ मिला है।
- ‘धर्मयुग’ हिंदी भाषा की महत्वपूर्ण पत्रिका है।
दुहरा अवतरण चिन्ह (Duhara Avtaran Chinh)
इकहरा अवतरण चिन्ह का संकेत चिन्ह (” “) होता है। किसी व्यक्ति के महत्वपूर्ण कथन या किसी कहावत को उल्लेखित करने के लिए जिस संकेत चिन्ह का प्रयोग किया जाता है उसे दुहरा अवतरण चिन्ह कहते हैं।
दुहरा अवतरण चिन्ह के उदाहरण (Duhara Avtaran Chinh Ke Udaharan)
- मेरे बड़े भाई ने कहा, “मुझे तुम पर गर्व है।”
- स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, “ख़ुद को कमजोर समझना पाप है।”
- जयशंकर ‘प्रसाद’ ने ‘कामायनी’ में कहा है कि “नारी तुम केवल श्रद्धा हो।”
दुहरा अवतरण चिन्ह का प्रयोग (Duhara Avtaran Chinh)
- किसी व्यक्ति द्वारा कही गई बात को ज्यों-का-त्यों उल्लेखित करने के लिए या किसी मुहावरे या लोकोक्ति को उल्लेखित करने के लिए दुहरे अवतरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:
- सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”
- महेश को रोता हुआ देखकर सभी ने कहा, “अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत”
- यह तो वही बात हो गई, “एक लाठी से सबको हाँकना”
- संज्ञा वाक्य में मुख्य वाक्य से पहले आए हुए वाक्य के दोनों ओर दुहरे अवतरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे: “स्वादिष्ट खाना कैसे बनता है”, यह बहुत कम लोग जानते हैं।
दुहरा अवतरण चिन्ह के वाक्य (Duhara Avtaran Chinh Ke Vakya)
- भगत सिंह ने कहा था, “प्रेमी, पागल और कवि एक चीज़ से बने होते हैं”
- गांधी जी ने कहा, “सदा सत्य बोलो”
- विजय को समझना चाहिए, “एकता में ताकत होती है।”
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