Tadbhav Tatsam Shabd Hindi
इस लेख में हम आपको हिंदी तद्भव तत्सम शब्द (Tadbhav Tatsam Shabd Hindi) के बारे में विस्तार से बता रहे हैं. अतः लेख को सावधानीपूर्वक और पूरा पढ़ें. Tadbhav Tatsam Shabd से सम्बन्धित किसी भी तरह की शंका या सवाल के निराकरण के लिए आप हमें कॉमेंट कर सकते हैं.
तत्सम शब्द किसे कहते हैं | Tatsam Shabd Kise kahate hain
तत्सम शब्द की परिभाषा – मूल भाषा संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। तत्सम शब्द ‘तत्’ एवं ‘सम’ के योग से बना हुआ शब्द है, जहाँ तत् का अर्थ उसके तथा सम का अर्थ समान होता है. अतः तत्सम शब्द का शाब्दिक अर्थ उसके (संस्कृत) समान होता है।
जैसे:- आम्र, कर्ण, क्षेत्र, अर्पण, आश्चर्य, उत्साह, आमलक, एकत्र, अंक, गर्मी, ग्राम, गायक, ग्रामीण, घृणा, चर्म, चक्र इत्यादि।
तद्भव शब्द किसे कहते हैं | Tadbhav Shabd Kise Kahate Hain
तद्भव शब्द की परिभाषा – मूल भाषा संस्कृत के वे शब्द जिनका हिंदी में रूप परिवर्तन हो गया है उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। तद्भव शब्द ‘तत्’ एवं ‘भव’ के योग से बना हुआ शब्द है, जहाँ तत् का अर्थ उससे (संस्कृत) तथा भव का अर्थ विकसित होता है. अतः तद्भव शब्द का शाब्दिक अर्थ उससे (संस्कृत) विकसित हुआ। हिंदी के सभी क्रिया शब्द तद्भव शब्द होते हैं.
जैसे:- आग, अनाज, आम, आलस, कोयल, कपूर, गाहक, गोबर, तुरंत, ताम्बा, छाता, गर्दन, चाँद इत्यादि।
तद्भव और तत्सम शब्दों को पहचानने के नियम
- जिस शब्द में क्ष हो वह शब्द प्रायः तत्सम शब्द होगा. तत्सम शब्द का तद्भव शब्द बनाते समय क्ष या तो ख या छ में बदल जाता है. जैसे: पक्षी का पंछी, रक्षा का राखी, भिक्षा का भीख, ऋक्ष का रीछ, लक्ष्मण का लखन, लक्षण का लच्छन हो गया इत्यादि.
- तत्सम शब्दों में श्र वर्ण होता है, जो तद्भव शब्दों में स में बदल जाता है. जैसे: साक्षी – साखी, श्रावण – सावन, श्वश्रू – सास, श्रेष्ठी – सेठ, श्रृंगार – सिंगार, श्रृंग – सींग, शिक्षा – सीख इत्यादि.
- तत्सम शब्दों में प्रयुक्त हुआ श वर्ण शब्द के तद्भव रूप में स हो जाता है. जैसे: शिक्षा – सीख, शूकर – सूअर, शाक – साग, श्वसुर – ससुर, शाप – सराप/श्राप, शय्या – सेज, श्यामल – साँवला, शुष्क – सूखा, शुण्ड – सूँड़ इत्यादि.
- तत्सम शब्दों में ष वर्ण का प्रयोग होता है. जैसे: पौष, विष्ठा, पृष्ठ, पुष्कर, वाष्प, मिष्ठान्न, मुषल इत्यादि.
- तत्सम शब्दों में व वर्ण होता है जो उसके तद्भव रूप में ब में बदल जाता है. जैसे: वानर – बन्दर, वज्रांग – बजरंग, वणिक – बनिया, वत्स – बच्चा, वत्स – बछड़ा, वधू – बहू, वट – बड़, वृद्ध – बुड्ढ़ा, वरयात्रा – बरात इत्यादि.
- तत्सम शब्दों में त्र और ऋ का प्रयोग होता है. जैसे: पितृ, पत्र, मित्र, नृत्य,राजपुत्र, रात्रि इत्यादि.
तत्सम तद्भव शब्द सूचि – Tatsam Tadbhav Shabd List
क्र. | तद्भव शब्द सूचि | तत्सम शब्द सूचि |
---|---|---|
01 | अचरज | आश्चर्य |
02 | अमोल | अमूल्य |
03 | अँधेरा | अन्धकार |
04 | अगम | अगम्य |
05 | अचानक | अकस्मात |
06 | अच्छर | अक्षर |
07 | अंगरक्षक | अँगरखा |
08 | असीस | आशिष |
09 | अस्सी | अशीति |
10 | अमिय | अमृत |
11 | अकाज | अकार्य |
12 | अजान | अज्ञान |
13 | अच्छत | अक्षत |
14 | अनजाना | अज्ञानी |
15 | अमोल | अमूल्य |
16 | अँगुरी, अँगुली | अंगुलि |
17 | अहेर | आखेट |
18 | अगाड़ी | अग्रवर्ती |
19 | अरक | अर्क |
20 | अहीर | आभीर |
21 | औतार | अवतार |
22 | अचूक | अच्युत |
23 | अनाज | अन्नाद्य |
24 | अँगूठा | अंगुष्ट |
25 | अटारी | अट्टालिका |
26 | अठारह | अष्टादश |
27 | अमावस | अमावस्या |
28 | अरपन | अर्पण |
29 | अनत | अन्यत्र |
30 | अनाड़ी | अनार्य |
तद्भव शब्द लिस्ट – तत्सम शब्द लिस्ट
- अदरक – आर्द्रक
- अजान – अज्ञान
- आम्र – आम
- आग – अग्नि
- आलस – आलस्य
- आसरा – आश्रय
- आधा – अर्द्ध
- आज – अद्य
- आमचूर – आम्रचूर्ण
- आँवला – आमलक
- आरज – आर्य
- आसोज (आसिन) – आश्विन
- आगे – अग्र
- आक – अर्क
- आँख – अक्षि
- आठ – अष्ट
- आखा – अखिल
- आखा (तीज) – अक्षय (तृतीया)
- आग – अग्नि
- आँक – अंक
- आयसु – आदेश
- आँसू – अश्रु
- इमली – अम्लिका
- इतवार – आदित्यवार
- इलायची – एला
- ईख – इक्षु
- ईंट – इष्टिका
- ईंधन – इन्धन
- ईर्षा – ईर्ष्या
- उछाह – उत्साह
- उजला – उज्जवल
- उलाहना – उपालम्भ
- उल्लू – उलूक
- उबटन – उद्वर्तन
- ऊँचा – उच्च
- ऊँट – उष्ट्र
- ऊसर – ऊषर
- ओंठ – ओष्ठ
- ओझा (झा) – उपाध्याय
- ओखली – उलूखल
यह भी पढ़ें: क्रिया किसे कहते हैं – परिभाषा एवं भेद
- कंगन – कंकण
- कछुआ – कच्छप
- कडुआ – कटु
- कतरन – कर्तन
- कपूत – कुपुत्र
- कपूर – कर्पूर
- कन्धा – स्कन्ध
- करतब – कर्तव्य
- कलोल – कल्लोल
- कलेश – क्लेश
- काठ – काष्ठ
- काज, कारज – कार्य
- काजल – कज्जल
- कान – कर्ण
- कातिक – कार्तिक
- काम – कर्म
- कान्ह – कृष्ण
- काँटा – कण्टक
- किरन – किरण
- किसान – कृषक
- कीरति – कीर्ति
- कुँअर – कुमार
- किसन – कृष्ण
- कुछ – किंचित्
- कुत्ता – कुक्कुर
- कुम्हार – कुम्भकार
- केला – कदली
- कैंची – कर्त्तरी
- कोना – कोण
- कोख – कुक्षि
- कोढ़ – कुष्ठ
- कोयल – कोकिला
- कौआ – काक
- कौड़ी – कपर्दिका
- कोठा – कोष्ठ
- कोठी – कोष्ठिका
- कुआँ – कूप
- खम्बा – स्तम्भ
- खत्री – क्षत्रिय
- खाँसी – कास
- खान – खनि
- खाट – खटवा
- खार – क्षार
- खीर – क्षीर
- खेत – क्षेत्र
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- गधा – गर्दभ
- गवैया – गायक
- गड्ढा – गर्त
- गात – गात्र
- गाभिन – गर्भिणी
- गाहक – ग्राहक
- गाँठ – ग्रंथि
- गीध – गृद्ध
- गुसाईं – गोस्वामी
- गेहूँ – गोधूम
- गोबर – गोमय
- गेंद – गेंडु
- गोर – गौर
- गाय – गौ
- गौना – द्विरागमन
- गुफा – गुहा
- गाँव – ग्राम
- गूँथना – गुम्फन
- गेह – गृह
- गँवार – ग्रामीण
- गहरा – गम्भीर
- ग्वाला – गोपालक
- घर – गृह
- घड़ा – घट
- घड़ी – घटिका
- घना – गहन
- घरनी – गृहिणी
- घाम – गर्मी
- घिन – घृणा
- घी – घृत
- चाम – चर्म
- चमार – चर्मकार
- चकवा – चक्रवाक
- चबाना – चर्वण
- चाँद – चन्द्र
- चाँदनी – चन्द्रिका
- चितेरा – चित्रकार
- चिकना – चिक्कण
- चीता – चित्रक
- चैत – चैत्र
- चोर – चौर
- चूरण – चूर्ण
- चौकोर – चतुष्कोण
- चौथा – चतुर्थ
- चौदह – चतुर्दश
- चौपाया चतुष्पद
- चूमना – चुम्बन
- चाक – चक्र
- चोंच – चंचु
- चौबीस – चतुर्विश
यह भी पढ़ें: शब्द-विचार की परिभाषा एवं भेद उदाहरण सहित
- छाता – छत्र
- छति – क्षति
- छाँह – छाया
- छिन – क्षण
- छोह – उत्साह
- छीन – क्षीण
- छेद – छिद्र
- छकड़ा – शकट
- जन्तर-मन्तर = यन्त्र-मन्त्र
- जमुना – यमुना
- जज्ञ – यज्ञ
- जजमान – यजमान
- जनम – जन्म
- जवान – युवा
- जती – यति
- जस – यश
- जनेऊ – यज्ञोपवीत
- जत्था – यूथ
- जाँघ – जंघा
- जेठ – ज्येष्ठ
- जोगी – योगी
- जमाई, जवाँई – जामाता
- जीभ – जिह्वा
- जम – यम
- जुगति – युक्ति
- जोति, जोत – ज्योति
- जौ – यव
- झरना – झरण
- झीना – जीर्ण
- टीका – तिलक
- डंक, डंका – दंश
- डण्डा – दण्ड
- डाह – दाह
- डाढ़ – दंष्ट्रा
- तन्दुल – तण्डुल
- तपसी – तपस्वी
- तपन – तप्त
- ताम्बा – ताम्र
- तिनका – तृण
- तीखा – तीक्ष्ण
- तीन – त्रीणि
- तीरथ – तीर्थ
- तुरन्त – त्वरित
- तेरह – त्रयोदश
- तेल – तैल
- तोंद – तुन्द
यह भी पढ़ें - प्रत्यय की परिभाषा,भेद एवं उदाहरण
- थन – स्तन
- थल – स्थल
- थान – स्थान
- थिर – स्थिर
- दही – दधि
- दाँत – दन्त
- दाई – धात्री
- दातुन – दन्तधावन
- दाद – दद्रु
- दीया – दीप
- दियासलाई – दीपशलाका
- दीवाली – दीपावली
- दिशावर – दिशान्तर
- दीठि – दृष्टि
- दूब – दूर्वा
- दूध – दुग्ध
- दुपट्टा – द्विपट
- दुबला – दुर्बल
- दुबे – द्विवेदी
- दुख – दुःख
- दूजा – द्वितीय
- दूना – द्विगुण
- दाहिना – दक्षिण
- दच्छ – दक्ष
- दुपहरी – द्विप्रहरी
- दई – देव
- धरम – धर्म
- धतूरा – धत्तूर
- धरती – धरित्री
- धुर – धुर्
- धूरि – धूलि
- धन्नासेठ – धनश्रेष्ठी
- धान – धान्य
- धीरज – धैर्य
- धुआँ – धूम
- नंगा – नग्न
- नखत – नक्षत्र
- नया – नव्य
- नाई – नापित
- नाच – नृत्य, नप्ता
- नाती – नप्तृ
- नारियल – नारिकेल
- निबाह – निर्वाह
- निठुर – निष्ठुर
- नींद – निद्रा
- नीम – निम्ब
- नेवला – नकुल
- नैन – नयन
- नौ – नव
- नेह – स्नेह
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- पलंग – पर्यंक
- पंख – पक्ष
- पंथ – पथ
- पंगत – पंक्ति
- पहर – प्रहर
- पछतावा – पश्चात्ताप
- पकवान – पक्वान्न
- परख – परीक्षा
- परसों – परश्व:
- पड़ौसी – पार्श्वअस्थि
- पहरुआ – प्रहरी
- पानी – पानीय
- पीला – पीत
- पीठ – पृष्ठ
- पूत – पुत्र
- पोखर – पुष्कर
- पूरा – पूर्ण
- पाँचवाँ – पंचम
- पूस – पौष
- पूरब – पूर्व
- पैर – पाद
- परस – स्पर्श
- पंछी – पक्षी
- पाहन – पाषाण
- पका – पक्व
- परछाँई – प्रतिच्छाया
- पापड़ – पर्पट
- पूँछ – पुच्छ
- पिय – प्रिय
- पौन – पवन
- पत्थर – प्रस्तर
- पाटी – पट्टिका
- पितर – पितृ
- प्रगट – प्रकट
- पत्ता – पत्र
- फन्दा – पाश
- फुल्का – फुल्ल
- फागुन – फाल्गुन
- फरसा – परशु
यह भी पढ़ें: उपसर्ग एवं उसके भेद
- बन्दर – वानर
- बजरंग – वज्रांग
- बकरा – बर्कर
- बनिया – वणिक
- बच्चा – वत्स
- बछड़ा – वत्स
- बहू – वधू
- बड़ – वट
- बुड्ढ़ा – वृद्ध
- बरात – वरयात्रा
- बहरा – बधिर
- बहिन – भगिनी
- बारह – द्वादश
- बींट – विष्ठा
- बैंगन – वार्ताक
- बैन – वाणी
- बैल – बलीवर्द
- बिच्छु – वृश्चिक
- ब्याह – विवाह
- बगुला – वक
- बाँस – वंश
- बाँझ – बन्ध्या
- बाँसुरी – वंशी
- बाघ – व्याघ्र
- बाँध – बन्ध
- बीना – वीणा
- बालू – बालुका
- बरन – वर्ण
- बैरबानी – वीरवर्णिनी
- बिगाड़ – विकार
- भगत – भक्त
- भला – भद्र
- भाप – वाष्प
- भतीजी – भ्रातृजा
- भानजा – भागिनेय
- भालू – भल्लुक
- भाई – भ्राता
- भौजाई – भ्रातृजाया
- भिखारी – भिक्षुक
- भीख – भिक्षा
- भौंरा – भ्रमर
- भौं, भोंह – भ्रू
- भूखा – बुभुक्षित
- भस्मि – भस्म
- भादौं – भाद्रपद
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- मगर – मकर
- मक्खी – मक्षिका
- मच्छर – मशक
- मामा – मातुल
- मिठाई – मिष्ठान्न
- मोती – मौक्तिक
- मीत – मित्र
- मेह – मेघ
- मौत – मृत्यु
- मूसल – मुषल
- मैल – मल
- मोर – मयूर
- मकड़ी – मर्कटी
- मारग – मार्ग
- मुँह – मुख
- महीना – मास
- मनिहार – मणिकार
- मरघट – मृतघट्ट
- मसहरी – मशकहरी
- मसान – श्मशान
- मिर्च – मरीच
- मूँछ – श्मश्रु
- रस्सी – रज्जु
- राजपूत – राजपुत्र
- रास (अनाज का ढेर) – राशि
- रात – रात्रि
- राखी – रक्षा
- रानी – राज्ञी
- रीता – रिक्त
- रीछ – ऋक्ष
- रोना – रुदन
- लखन – लक्ष्मण
- लच्छन – लक्षण
- लाज – लज्जा
- लाख – लक्ष
- लोहा – लौह
- लौंग – लवंग
- लुहार – लौहकार
- लोमड़ी – लोमशा
- लौंण – लवण
- लुनाई – लवणता
- लीपना – लेपन
यह भी पढ़ें: वाक्यांश के लिए एक शब्द
- शक्कर – शर्करा
- सरवर – सरोवर
- सतसई – सप्तशती
- सरसों – सर्सप
- सपना – स्वप्न
- साखी – साक्षी
- सावन – श्रावण
- सास – श्वश्रू
- सौत – सपत्नी
- सेंध – सन्धि
- साँस – श्वास
- सूत – सूत्र
- सुनार – स्वर्णकार
- सुहाग – सौभाग्य
- सूअर – शूकर
- सच – सत्य
- साग – शाक
- ससुर – श्वसुर
- सराप/श्राप – शाप
- सजन/साजन – स्वजन
- सेज – शय्या
- साँवला – श्यामल
- सूखा – शुष्क
- सूँड़ – शुण्ड
- सूरज – सूर्य
- साली – श्याली
- सेठ – श्रेष्ठी
- सुआ – शुक
- सूना – शून्य
- सींग – श्रृंग
- सिंगार – श्रृंगार
- सीख – शिक्षा
- हथनी/हथिनी – हस्तिनी
- हरा – हरित
- हल्दी – हरिद्रा
- हरख – हर्ष
- हाट – हट्ट
- हिंडोरा, हिंडोला – हिन्दोला
- होली – होलिका
- हिय – हृदय
- हाँड़ी – हण्डी
- हँसी – हास्य
- हड्डी – अस्थि
- हाथी – हस्ती
- हिरन – हरिण
- हीरा – हीरक
- हाथ – हस्त
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