क्रिया (Kriya)
क्रिया हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण और ज़रूरी हिस्सा है, जिसे समझने में छात्रों को अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्रिया शब्द का शाब्दिक अर्थ काम होता है, अर्थात किसी वाक्य में कर्ता द्वारा किया जाने वाला कार्य ही क्रिया होती है।
परीक्षा की दृष्टि से क्रिया बहुत ही मत्वपूर्ण है। अतः लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें।
क्रिया किसे कहते हैं | Kriya Kise Kahate Hain
किसी वाक्य में प्रयुक्त वह शब्द जिसके द्वारा किसी काम का करना या होना पाया जाता है उसे क्रिया कहते हैं। क्रिया एक विकारी शब्द है, जिसका अर्थ काम होता है। क्रिया की उत्पत्ति धातु शब्दों से होती है। मूल धातु शब्द में ‘ना’ प्रत्यय लगाने से क्रिया बनती है। किसी वाक्य में लिंग, वचन, काल आदि के आधार पर क्रिया का रूप परिवर्तित होने के साथ-साथ संज्ञा एवं सर्वनाम के आधार पर भी क्रिया का रूप परिवर्तित होता है। क्रिया करने वाले को कर्ता कहते हैं.
क्रिया के उदाहरण | Kriya Ke Udahran
- विक्रम पढ़ रहा है।
- शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री थे।
- महेश क्रिकेट खेल रहा है।
- सुरेश खेल रहा है।
- राजा राम पुस्तक पढ़ रहा है।
- बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं।
- लड़कियाँ गाना गा रही हैं।
- गीता चाय बना रही है।
- महेश पत्र लिखता है।
- उसी ने बोला था।
- राम ही सदा लिखता है।
- अध्यापक छात्रों को पाठ पढ़ा रहा था।
- राम ने कृष्ण को पत्र लिखा।
- आज सभी पतंग उड़ा रहे हैं।
- धनश्याम दूध पी रहा है।
प्रथम वाक्य में विक्रम द्वारा पढ़ाई काम का करना पाया जा रहा है। अतः इस वाक्य में ‘पढ़ रहा है’ क्रिया पद है।
द्वितीय वाक्य में स्पष्ट रूप से किसी काम का करना दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन काम का होना पाया जा रहा है। अतः इस वाक्य में ‘थे’ क्रिया पद होगा।
तृतीय वाक्य में महेश द्वारा क्रिकेट खेला जा रहा है। अतः क्रिकेट खेलने का काम का करना पाया जा रहा है। इस वाक्य में ‘खेल रहा है’ क्रिया पद होगा।
चतुर्थ वाक्य में कर्म कारक स्पष्ट रूप से लिखा हुआ नहीं है, लेकिन फिर भी गौण रूप में कर्म कारक उपस्थित है। ‘सुरेश खेल रहा है’, इसका अर्थ हुआ की सुरेश कोई न कोई खेल तो यकीनन खेल रहा है। अतः ‘खेल रहा है’ इस वाक्य में क्रिया पद है।
इसी तरह अन्य उदाहरणों में भी आप क्रिया पहचान सकते हैं।
क्रिया शब्द | Kriya Shabd
वे शब्द जिनसे किसी कार्य या काम के होने का बोध होता हो उन्हें क्रिया शब्द कहते हैं। किसी वाक्य में कर्ता जिस कार्य को कर रहा होता है उस कार्य का बोध करवाने वाले शब्दों को क्रिया शब्द कहा जाता है।
क्रिया शब्द के उदाहरण – Kriya Shabd Ke Udaharan
- खेलना
- आना
- जाना
- कूदना
- नाचना
- पीना
- चलना
- नहाना
क्रिया के भेद | Kriya Ke Bhed
क्रिया के भेद अलग-अलग आधार पर तय किय जाते हैं. अतः क्रिया के भेद जानने के लिए पहले क्रिया का वर्गीकरण जानना आवश्यक है. क्रिया का वर्गीकरण तीन आधार पर किया गया है- कर्म के आधार पर, प्रयोग एवं संरचना के आधार पर तथा काल के आधार पर.
- कर्म के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण
- प्रयोग एवं संरचना के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण
- काल के आधार पर क्रिया का वर्गीकरण
कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं।
सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं | Sakarmak Kriya Kise Kahate Hain
वे क्रियाएँ जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं। सकर्मक क्रिया का अर्थ कर्म के साथ में होता है, अर्थात सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है। सकर्मक क्रिया दो प्रकार की होती है।
सकर्मक शब्द ‘स’ और ‘कर्मक’ से मिलकर बना है, जहाँ ‘स’ उपसर्ग का अर्थ ‘साथ में’ तथा ‘कर्मक’ का अर्थ ‘कर्म के’ होता है।
आसान भाषा में कहें तो, वे क्रियाएं, जिनके साथ कर्म का होना आवश्यक होता है अर्थात बिना कर्म के वाक्य का संपूर्ण भाव प्रकट नहीं होता है सकर्मक क्रिया होती हैं।
सकर्मक क्रिया के उदाहरण | Sakarmak Kriya Ke Udaharan
निम्नलिखित उदाहरण सकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं, जिन्हें पढ़कर आप समझ सकते हैं की सकर्मक क्रिया में कर्म पाया जाता है और सकर्मक क्रिया के वाक्य को कैसे पहचाने।
- गीता चाय बना रही है।
- महेश पत्र लिखता है।
- हमने एक नया मकान बनाया।
- वह मुझे अपना भाई मानती है।
- राधा खाना बनाती है।
- रमेश सामान लाता है।
- रवि ने आम ख़रीदे।
- हम सब से शरबत पीया।
- राम साईकिल चलाता है।
- विजय पान खाता है।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में क्रिया का सीधा प्रभाव कर्म पर पड़ रहा है, न की कर्ता पर। अतः यहाँ सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया कैसे पहचाने? | Sakarmak Kriya Ko Kaise Pahchane
सबसे पहले आपको वाक्य में क्रिया पद से पहले ‘क्या’ लगाकर वाक्य को सवाल की तरह पढ़ना है। यदि उस वाक्य में सकर्मक क्रिया होगी तो, आपको वाक्य में प्रयुक्त ‘कर्म’ के रूप में जवाब मिल जाएगा। यदि आपको जवाब नहीं मिले तो यकीनन वह वाक्य सकर्मक क्रिया का उदाहरण नहीं है। जैसे: रमेश खाना बना रहा है। इस वाक्य में हम क्रिया पद ‘बना रहा है’ से पहले क्या लगाकर वाक्य को पढ़ते हैं – रमेश क्या बना रहा है? इस सवाल का जवाब होगा कि – ‘खाना’ बना रहा है। अतः इस वाक्य में ‘बना रहा है’ सकर्मक क्रिया है।
सकर्मक क्रिया के भेद | Sakarmak Kriya Ke Bhed
- पूर्ण सकर्मक क्रिया – Purn Sakrmak Kriya
- अपूर्ण सकर्मक क्रिया – Apurn Sakrmak Kriya
पूर्ण सकर्मक क्रिया किसे कहते है – Purn Sakrmak Kriya Kise Kahate Hain
सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त किसी अन्य पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता नहीं होती है, उस क्रिया को पूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। पूर्ण सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं.
पूर्ण सकर्मक क्रिया के उदाहरण (Purn Sakrmak Kriya Ke Udaharan)
- महेश ने घर बनाया।
- बच्चा पी रहा है।
- कुछ छात्र पढ़ रहे थे।
- उसी ने बोला था।
- राम ही सदा लिखता है।
- राम एक नया मकान बनाया।
आप देख सकते हैं कि उपरोक्त सभी उदाहरणों में कर्म के साथ किसी भी तरह का पूरक शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया है। अतः यहाँ पूर्ण सकर्मक क्रिया है।
पूर्ण सकर्मक क्रिया के भेद
- एक कर्मक क्रिया (Ek Karamk Kriya)
- द्विकर्मक क्रिया (Dvikaramk Kriya)
एक कर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Ek Karma Kriya Kise Kahate Hain)
यदि किसी वाक्य में सकर्मक क्रिया के साथ सिर्फ़ एक कर्म प्रयुक्त हुआ हो तो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।
एक कर्मक क्रिया के उदाहरण (Ek Karamk Kriya Ke Udaharan)
- विजय भोजन कर रहा है।
- अध्यापक पाठ पढ़ा रहा है।
- बच्चों ने चित्र बनाए।
- शंकर ने केले ख़रीदे।
- श्याम ने एक फ़ोन ख़रीदा।
- मैंने कपड़े धोए।
द्विकर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Dvikaramk Kriya Kise Kahate Hain)
यदि किसी वाक्य में पूर्ण सकर्मक क्रिया के साथ दो कर्म (प्रधान कर्म एवं गौण कर्म) प्रयुक्त हुए हों तो, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।
द्विकर्मक क्रिया के उदाहरण
- मां बच्चों को भोजन खिला रही है।
- मैं आपको क्रिया पढ़ा रहा हूँ।
- अध्यापक छात्रों को पाठ पढ़ा रहा था।
- राम ने कृष्ण को पत्र लिखा।
- मैंने साबुन से कपड़े धोए।
- शंकर ने बाज़ार से केले ख़रीदे।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया किसे कहते है (Apurn Sakrmak Kriya Kise Kahate Hain)
अपूर्ण सकर्मक क्रिया – सकर्मक क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के साथ ‘कर्म’ के अतिरिक्त भी किसी न किसी पूरक शब्द (संज्ञा या विशेषण) की आवश्यकता बनी रहती हो तो, उस क्रिया को अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं। चार क्रियाएँ मानना, समझना, चुनना (चयन) एवं बनाना (चयन के अर्थ में) सदैव अपूर्ण सकर्मक क्रिया होती हैं।
आसान भाषा में कहें तो अपूर्ण सकर्मक क्रिया में पूरक शब्दों के बिना काम का पूर्ण होना नहीं पाया जाता।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया के उदाहरण (Apurn Sakrmak Kriya Ke Udaharan)
- नवीन सचिन को चतुर समझता है।
- वह मुझे अपना भाई मानता है।
- हमने सुमेर को समिति का अध्यक्ष बनाया।
- वह अपने आपको हिटलर समझता है।
- रमेश महेश को अपना दुश्मन समझता है।
- देश ने मोदी को प्रधानमंत्री चुना था।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में आप देख है की चतुर, भाई, अध्यक्ष, हिटलर, दुश्मन एवं प्रधानमंत्री पूरक शब्द हैं। अतः यहाँ अपूर्ण सकर्मक क्रिया होगी।
Note:- सकर्मक क्रिया के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-
अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं | Akarmak Kriya Kise Kahate Hain
वे क्रियाएँ जिनका प्रभाव वाक्य में प्रयुक्त कर्ता पर पड़ता है उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रिया का अर्थ कर्म के बिना होता है, अर्थात अकर्मक क्रिया के साथ कर्म प्रयुक्त नहीं होता है। अकर्मक शब्द अ और कर्मक से मिलकर बना है, जहाँ अ उपसर्ग का अर्थ बिना तथा कर्मक का अर्थ कर्म के होता है।
अकर्मक क्रिया के उदाहरण | Akarmak Kriya Ke Udaharan
- रमेश दौड़ रहा है।
- मैं एक अध्यापक था।
- वह मेरा मित्र है।
- मैं रात भर नहीं सोया।
- मुकेश बैठा है।
- बच्चा रो रहा है।
- वह जा रहा है।
- पिताजी आ रहे हैं।
उपरोक्त सभी उदाहरणों में कर्म कारक उपस्थित नहीं है। अतः यहाँ अकर्मक क्रिया है।
Note:- अकर्मक क्रिया के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:-
सकर्मक और अकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने?
यदि किसी वाक्य में कर्म उपस्थित नहीं हो तो वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अकर्मक क्रिया होगी, अन्यथा सकर्मक क्रिया होगी. सकर्मक और अकर्मक क्रिया को पहचानने के लिए वाक्य में प्रयुक्त क्रिया से पहले क्या लगाकर वाक्य को सवाल की तरह पढ़ें। यदि उस वाक्य में सकर्मक क्रिया होगी तो वाक्य में प्रयुक्त ‘कर्म’ के रूप में जवाब मिलेगा और यदि कर्म के रुप में जवाब नहीं मिले तो उस वाक्य में अकर्मक क्रिया होगी।
यह भी पढ़ें:-
प्रयोग तथा संरचना के आधार पर क्रिया के भेद
- सामान्य क्रिया
- सहायक क्रिया
- संयुक्त क्रिया
- प्रेरणार्थक क्रिया
- पूर्वकालिक क्रिया
- सजातीय क्रिया
- कृदंत क्रिया
- नामधातु क्रिया
सामान्य क्रिया किसे कहते हैं (Samanya Kriya Kise Kahate Hain)
सामान्य क्रिया – यह क्रिया का सामान्य रूप होता है, जिसमें एक कार्य एवं एक ही क्रिया पद होता है। जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया पद प्रयुक्त किया गया हो तो, उसे सामान्य क्रिया कहते हैं। सामान्य क्रिया के वाक्य निम्नलिखित हैं, जिन्हें पढ़कर आप सामान्य क्रिया को समझ सकते हैं।
सामान्य क्रिया के उदाहरण (samanya kriya ke udaharan)
- रवि पुस्तक पढ़ता है।
- श्याम आम खाता है।
- श्याम जाता है।
- राधा आई।
- विजय गया।
सहायक क्रिया किसे कहते हैं (Sahayak Kriya Kise Kahate Hain)
सहायक क्रिया – किसी वाक्य में मुख्य क्रिया की सहायता करने वाले पद को सहायक क्रिया कहते हैं, अर्थात किसी वाक्य में वह पद जो मुख्य क्रिया के साथ लगकर वाक्य को पूर्ण करता है, उसे सहायक क्रिया कहते हैं। सहायक क्रिया वाक्य के काल का परिचायक होती है।
सहायक क्रिया के उदाहरण (Sahayak Kriya Ke Udaharan)
- रवि पढ़ता है।
- मैंने पुस्तक पढ़ ली है।
- विजय ने अपना खाना मेज़ पर रख दिया है।
प्रथम वाक्य में ‘पढ़ता’ मुख्य क्रिया है। ‘है’ इस मुख्य क्रिया की सहायता करने वाला पद है।
द्वितीय वाक्य में ‘पढ़’ मुख्य क्रिया एवं ‘ली है’ सहायक क्रिया पद है, जो मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर वाक्य को पूरा कर रहा है।
इसी तरह आप अन्य उदाहरणों में सहायक क्रिया पहचान सकते हैं।
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं (Sanyukt Kriya Kise Kahate Hain)
संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya) – वह क्रिया जो दो अलग-अलग क्रियाओं के योग से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
संयुक्त क्रिया के उदाहरण (Sanyukt Kriya Ke Udaharan)
- रजनी ने खाना खा लिया।
- मैंने पुस्तक पढ़ डाली है।
- शंकर ने खाना बना लिया।
प्रथम वाक्य में ‘खाना’ एवं ‘खा’ मिलकर एक क्रिया बना रहे हैं। अतः ‘खाना खा’ संयुक्त क्रिया होगी।
द्वितीय वाक्य में ‘पढ़’ एवं ‘डाली’ मिलकर एक क्रिया बना रहे हैं। अतः पर ‘पढ़ डाली’ संयुक्त क्रिया होगी।
प्रेरणार्थक क्रिया
प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा:- वे क्रियाएँ जिन्हें कर्ता स्वयं करने के बजाय किसी दूसरे को क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है, उन्हें प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया की रचना सकर्मक एवं अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के पश्चात वह सदैव सकर्मक ही होती है। प्रेरणार्थक क्रिया के दो प्रकार होते हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण (Prernarthak Kriya Ke Udaharan)
- रतन महेश से पत्र लिखवाता है।
- सविता कविता से कपड़े धुलवाती है।
- अध्यापक बच्चों से पाठ पढ़वाता है.
- रवि माँ से खाना बनवाता है.
- शंकर विजय से साईकिल चलवाता है.
इस वाक्य में कर्ता रतन महेश से पत्र लिखवाता है। अतः इस वाक्य में ‘लिखवाता है’ प्रेरणार्थक क्रिया है। द्वितीय वाक्य में कर्ता सविता कविता से कपड़े धुलवाती है। अतः इस वाक्य में ‘ धुलवाती है ‘ प्रेरणार्थक क्रिया है। इसी तरह शेष तीनों उदाहरणों में भी प्रेरणार्थक क्रिया है.
प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं.
- प्रेरक कर्ता – वह कर्ता जो क्रिया करने के लिए प्रेरणा देता है.
- प्रेरित कर्ता – वह कर्ता जो क्रिया करने के लिए प्रेरणा देता है.
प्रेरणार्थक क्रिया के भेद
- प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया या प्रत्यक्ष प्रेरणार्थक क्रिया
- द्वितीय प्रेरणार्थक रूप या अप्रत्यक्ष प्रेरणार्थक क्रिया
पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं (Purvkalik Kriya)
पूर्वकालिक क्रिया – यदि किसी वाक्य में दो क्रियाएँ एक साथ आई हों तथा उनमें से एक क्रिया पहले संपन्न हुई हो तो, पहले संपन्न हुई क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं। मूल धातु के साथ ‘कर’ प्रत्यय लगाने से पूर्वकालिक क्रिया बनती है।
पूर्वकालिक क्रिया के उदाहरण (Purvkalik Kriya Ke Udaharan)
- विकास पढ़कर सो गया।
- वह नहाकर चला गया।
- विजय ने खाना खाकर चाय पी।
- सीता नहाकर मंदिर जाएगी।
- श्याम खेलकर नहाने जाएगा।
प्रथम वाक्य में ‘पढ़कर’ एवं ‘सो गया’ दो क्रियाएं एक साथ प्रयुक्त हुई, जिसमें से पढ़कर पहले संपन्न हुई है। अतः इस वाक्य में ‘पढ़कर’ पूर्वकालिक क्रिया है। इसी तरह आप अन्य उदाहरणों को भी समझ सकते हैं।
Note:- पूर्वकालिक क्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए नीचे दिय गए लिंक पर क्लिक करें:-
सजातीय क्रिया किसे कहते हैं (Sajatiya Kriya)
सजातीय क्रिया – क्रिया का वह रूप जिसमें कर्म तथा क्रिया दोनों एक ही धातु से बने हों तथा एक साथ प्रयुक्त हुए हों तो, उन्हें सजातीय क्रिया कहते हैं।
सजातीय क्रिया के उदाहरण (Sajatiya Kriya Ke Udaharan)
- भारत ने लड़ाई लड़ी।
कृदंत क्रिया किसे कहते हैं (Kridant Kriya)
वे क्रियाएं, जो क्रिया पदों के साथ प्रत्यय लगाने से बनती है, उन्हें कृदंत क्रिया कहते हैं।
कृदंत क्रिया के उदाहरण (Kridant Kriya Ke Udaharan)
- चल धातु से = चलना, चलता, चलकर
- लिख धातु से = लिखना, लिखता, लिखकर
नामधातु क्रिया किसे कहते हैं (NaamDhatu Kriya)
नामधातु क्रिया – आमतौर पर सभी क्रियाओं की रचना किसी न किसी धातु से होती है, लेकिन जब किसी क्रिया की रचना धातु से ना होकर संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण से होती है तो, उस क्रिया को नामधातु क्रिया कहते हैं।
नामधातु क्रिया के उदाहरण (NaamDhatu Kriya)
- अपना (सर्वनाम) + ना = अपनाना
- चमक (संज्ञा) + ना = चमकना, चमकाना
यह भी पढ़ें :-
काल के आधार पर क्रिया के भेद
काल के आधार पर क्रिया के तीन भेद होते हैं।
- भूतकालिक क्रिया
- वर्तमानकालिक क्रिया
- भविष्यतकालिक क्रिया
भूतकालिक क्रिया किसे कहते हैं
भूतकालिक क्रिया – वे क्रियाएँ, जिनके द्वारा भूतकाल में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है, उन्हें भूतकालिक क्रियाएँ कहते हैं।
भूतकालिक क्रिया के उदाहरण:-
- विकास ने पुस्तक पढ़ ली थी।
- रमेश सुबह ही चला गया था।
भूतकालिक क्रिया के 6 भेद होते हैं।
सामान्य भूतकालिक क्रिया
सामान्य भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने का बोध होता हो, लेकिन कार्य के पूर्ण होने का निश्चित समय का पता नहीं चलता हो तो, क्रिया के उस रूप को सामान्य भूतकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में या, यी, ये अथवा आ, ए, ई आया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सामान्य भूतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- नवीन ने खाना खाया।
- रमेश ने पानी पिया।
- महेश ने चारपाई बनायी।
- विक्की ने शराब पी। (ई)
आसन्न भूतकालिक क्रिया
आसन्न भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के कुछ समय पूर्व ही समाप्त होने का बोध होता हो, उसे आसन्न भूतकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में चुका है, चुकी है, चुके हैं, चुका हूँ, चुकी हूँ अथवा या, ये, यी, आ, ए, ई के साथ में हैं, है प्रयुक्त किया गया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया आसन्न भूतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- नवीन खाना खा चुका है।
- रमेश ने पानी पिया है।
- महेश ने चारपाई बना ली है।
- बच्चे स्कूल गए हैं।
- मैं नहा चुका हूँ।
- उसने फल तोड़ा है।
पूर्ण भूतकालिक क्रिया
पूर्ण भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के बहुत समय पूर्व समाप्त होने का बोध होता हो, उसे पूर्ण भूतकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में चुका था, चुकी थी, चुके थे अथवा या, ये, यी, आ, ए, ई के साथ था, थे, थी लगा हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया पूर्ण भूतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- नवीन खाना खा चुका था।
- रमेश ने पानी पी लिया था।
- महेश ने चारपाई बना ली थी।
- बच्चे स्कूल गए थे।
- मैं नहा चुका था।
- उसने फल तोड़ा था।
संदिग्ध भूतकालिक क्रिया
संदिग्ध भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य के बीते हुए समय में होने पर संशय का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को संदिग्ध भूतकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में चुका होगा, चुकी होगी, चुके होंगे अथवा या, ये, यी, आ, ए, ई के साथ होगा, होगी, होंगे प्रयुक्त हुआ हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया संदिग्ध भूतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- नवीन खाना खा चुका होगा।
- रमेश ने पानी पी लिया होगा।
- महेश ने चारपाई बना ली होगी।
- बच्चे स्कूल गए होंगे।
- उसने फल तोड़ा होगा।
- सीता सो चुकी होगी।
- वह जा चुके होंगे।
अपूर्ण भूतकालिक क्रिया
अपूर्ण भूतकालिक क्रिया – क्रिया के जिस रूप से कार्य का बीते हुए समय में जारी रहने का बोध होता हो, उसे अपूर्ण भूतकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में रहा था, रही थी, रहे थे करता था, करती थी, करते थे आ रहा हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अपूर्ण भूतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- नवीन खाना खा रहा था।
- सीता सो रही थी।
- वह बचपन में बहुत शरारत करता था।
- हम खेत में जाया करते थे।
हेतुहेतुमद् भूतकालिक क्रिया
हेतुहेतुमद् भूतकालिक क्रिया – भूतकालिक क्रिया का वह रूप जिसमें बीते हुए समय के साथ कोई शर्त प्रयुक्त हुई हो तो, क्रिया के उस रूप को हेतुहेतुमद् भूतकालिक क्रिया कहते हैं। इस तरह के वाक्यों में भुतकाल में होने वाली कोई क्रिया किसी अन्य क्रिया पर निर्भर होती है।
उदाहरण:-
- यदि हम पढ़ते तो सफल हो जाते।
- अगर मैं वहां होता तो ऐसा कभी ना होता।
यह भी पढ़ें :-
वर्तमानकालिक क्रिया किसे कहते हैं
वर्तमानकालिक क्रिया – वे क्रियाएँ, जिनके द्वारा वर्तमान में काम के संपन्न होने का बोध होता है, उन्हें वर्तमानकालिक क्रियाएँ कहते हैं।
वर्तमानकालिक क्रिया के भेद
- सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया
- अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया
- संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया
- आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया
- सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया
सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया
सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य का सामान्य रूप से वर्तमान समय में होने का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में ता है, ती है, ते हैं, ता हूँ, ती हूँ आया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- रमेश खाना खाता है।
- रवि चाय बनाता है।
- हम स्कूल जाते हैं।
- मैं प्रतिदिन व्यायाम करता हूँ।
अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया
अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य का वर्तमान समय में जारी रहने का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं, रही हूँ, रहा हूँ में से कोई सहायक क्रिया प्रयुक्त हुई हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- रमेश खाना खा रहा है।
- सीता चाय बना रही है।
- वह सभी स्कूल जा रहे हैं।
- मैं कपड़े धो रहा हूँ।
संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया
संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के वर्तमान समय में होने पर संशय का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। सामान्य वर्तमानकालिक क्रिया में संशय की स्थिति जोड़ने पर संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया बन जाती है। यदि किसी वाक्य के अंत में रहा होगा, रही होगी, रहे होंगे में से कोई एक सहायक क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुआ हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया संदिग्ध वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- रमेश खाना खा रहा होगा।
- सीता चाय बना रही होगी।
- सभी सो रहे होंगे।
आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया
आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान काल में आज्ञा या आदेश देने का बोध हो तो, क्रिया के उस रूप को आज्ञार्थक वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण:-
- बैठ जाओ।
- सीता अब तुम चाय बनाओ।
- पत्र लिखो।
सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया
सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया – वर्तमानकालिक क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान समय में अपूर्ण क्रिया की संभावना या संशय होने का बोध होता हो तो, क्रिया के उस रूप को सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं। अपूर्ण वर्तमानकालिक क्रिया में संशय की स्थिति जोड़ देने पर वर्तमानकालिक क्रिया बनती है। यदि किसी वाक्य के अंत में सहायक क्रिया के रूप में रहा होगा, रही होगी, रहे होंगे, रहा हो, रही हो, रहे हो आदि में से किसी एक का प्रयोग किया गया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सम्भाव्य वर्तमानकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- शायद रवि आया हो।
यह भी पढ़ें :-
भविष्यतकालिक क्रिया किसे कहते हैं
भविष्यतकालिक क्रिया – वे क्रियाएं, जिनके द्वारा भविष्य में होने वाले काम का बोध होता हो, उन्हें भविष्यतकालिक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण:-
- वह कल जयपुर जाएगा।
- रमेश अगले सप्ताह घर आएगा।
भविष्यतकालिक क्रिया के तीन भेद होते हैं।
सामान्य भविष्यतकालिक क्रिया
सामान्य भविष्यतकालिक क्रिया – भविष्यकालिक क्रिया का वह रूप जिससे कार्य का सामान्य रूप से आने वाले समय में होने का बोध होता हो तो, क्रिया के उस रूप को सामान्य भविष्यकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में एगा, एगी, एंगे, उँगा, उँगी आदि सहायक क्रियाओं में से कोई एक क्रिया आई हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सामान्य भविष्यकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- वह पुस्तक पड़ेगा।
- मैं घर जाऊंगा।
- हम हॉकी खेलेंगे।
आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया
आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया – भविष्यकालिक क्रिया का वह रूप जिससे भविष्य काल में आज्ञा या आदेश देने का बोध प्रकट होता हो तो, क्रिया के उस रूप को आज्ञार्थक भविष्यकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में ‘इएगा’ सहायता क्रिया के रूप में प्रयुक्त किया गया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया आज्ञार्थक भविष्यतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- आप अपनी पढ़ाई कीजिएगा।
- आप कल अवश्य आइएगा।
संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया
संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया – भविष्यकालिक क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य काल में होने की संभावना या संशय होने का बोध होता हो तो, क्रिया के उस रूप को संभाव्य भविष्यकालिक क्रिया कहते हैं। यदि किसी वाक्य के अंत में सकता है, सकती है, सकते हैं, सकता हूँ, सकती हूँ, चाहिए आदि आया हो तो, उस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया संभाव्य भविष्यतकालिक क्रिया होगी।
उदाहरण:-
- दो दिन बाद रमेश आ सकता है।
- अब मुझे क्या करना चाहिए।
आज की पोस्ट में हमने आपको क्रिया किसे कहते हैं , क्रिया की परिभाषा , क्रिया के उदाहरण एवं क्रिया के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई है। यह पोस्ट प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिखी है।
Other Posts Related to Hindi Vyakran
संज्ञा की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- भाववाचक संज्ञा की परिभाषा और उदाहरण
- जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा और उदाहरण
- व्यक्तिवाचक संज्ञा की परिभाषा और उदाहरण
सर्वनाम की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- संबंधवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- निजवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- प्रश्नवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- निश्चयवाचक सर्वनाम की परिभाषा एवं उदाहरण
- पुरुषवाचक सर्वनाम की परिभाषा, भेद और उदाहरण
समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- अव्ययीभाव समास की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- द्विगु समास की परिभाषा और उदाहरण
- कर्मधारय समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- बहुव्रीहि समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- द्वन्द्व समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- तत्पुरुष समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
वाक्य की परिभाषा, भेद एवं उदहारण
- मिश्र वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण
- संयुक्त वाक्य की परिभाषा एवं उदाहरण
- साधारण वाक्य की परिभाषा एवं उदहारण
विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- परिमाणवाचक विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- संख्यावाचक विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- गुणवाचक विशेषण की परिभाषा और उदाहरण
- सार्वनामिक विशेषण की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- विशेष्य की परिभाषा एवं उदाहरण
- प्रविशेषण की परिभाषा एवं उदाहरण
क्रिया की परिभाषा, भेद और उदाहरण
संदर्भ : क्रिया (व्याकरण) Wikipedia