Kartri Vachya
कर्तृ वाच्य की परिभाषा (Kartri Vachya Ki Paribhasha)
यदि किसी वाक्य में कर्ता के लिंग, वचन या पुरुष के अनुसार वाक्य में प्रयुक्त क्रिया में परिवर्तन हो तो उसे कर्तृ वाच्य कहते हैं। अतः कर्तृ वाच्य में कर्ता के लिंग / वचन / पुरुष में परिवर्तन करते ही वाक्य की क्रिया में भी परिवर्तन होता है।
मोहन पुस्तक पढ़ता है।
सीता पुस्तक पढ़ती है।
उपरोक्त उदाहरणों में कर्ता मोहन (पुल्लिंग, एकवचन) को बदल कर सीता (स्त्रीलिंग, एकवचन) कर देने पर क्रिया में भी पुल्लिंग-एकवचन से स्त्रीलिंग-एकवचन में बदलाव हो गया है। अतः उपरोक्त उदाहरणों में कर्तृ वाच्य होगा।
कर्तृ वाच्य अकर्मक क्रिया एवं सकर्मक क्रिया दोनों क्रियाओं में होता है।
यदि किसी वाक्य में कर्ता के साथ कर्ता कारक चिह्न ‘ने’ प्रयुक्त हुआ हो और वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग / वचन में कर्म के अनुसार परिवर्तन हो तो ऐसे वाक्यों में कर्म वाच्य मानने के बजाए कर्तृ वाच्य ही माना जाता है। इस स्थिति में क्रिया सदैव भूतकालिक क्रिया होगी।
जैसे:-
- शंकर ने खाना खाया।
- सीता ने दूध पीया।
- लता ने गाना गाया।
कर्तृ वाच्य के उदाहरण (Kartri Vachya Ke Udaharan)
- हम खाना खाते हैं।
- रवि दूध पीता है।
- राधा ने चाय पी।
- राम पुस्तक पढ़ता है।
- तुमने कार खरीदी।
- बच्चों ने क्रिकेट देखा।
कर्म वाच्य से कर्तृ वाच्य बनाना
कर्तृ वाच्य (Kartri Vachya) में कर्ता की प्रधानता होती है जबकि कर्म वाच्य में कर्म की प्रधानता होती है। इसलिए कर्म वाच्य से कर्तृ वाच्य बनाते समय कर्म की बजाय कर्ता के अनुसार क्रिया प्रयुक्त कर दी जाती है। इसी प्रकार कर्तृवाच्य परिवर्तित हो सकता है कर्म वाच्य में. जैसे:-
राधा द्वारा चित्र बनाए गए। इस वाक्य में कर्म वाच्य है क्योंकि इस वाक्य में कर्ता को करण कारक में लिखा गया है और क्रिया सकर्मक क्रिया है। अतः इस वाक्य को कर्तृ वाच्य में बदलने के लिए कर्ता के अनुसार क्रिया को लिखा जाएगा। अतः इस वाक्य का कर्तृ वाच्य ‘राधा ने चित्र बनाए’ होगा।
FAQs
कर्तृवाच्य में कौनसी क्रिया होती है?
कर्तृवाच्य (Kartri Vachya) में अकर्मक क्रिया एवं सकर्मक क्रिया होती हैं, अर्थात कर्तृ वाच्य अकर्मक एवं सकर्मक दोनों क्रियाओं में हो सकता है।
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