Vachan In Hindi
हिंदी वचन (Vachan In Hindi) हिंदी व्याकरण का एक प्रमुख अध्याय है। जब हम वचन शब्द की बात करते हैं तो वचन अर्थ किसी बात या किसी बात के वादे से लिया जाता है। लेकिन हिंदी में वचन (Vachan In Hindi) का अर्थ एक या एक से अधिक संख्याओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इस लेख में हम हिंदी वचन (Vachan In Hindi) के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं.
आइए, शुरू करते हैं.
वचन किसे कहते हैं (Vachan Kise Kahate Hain)
संज्ञा के जिस रुप से संख्या का बोध होता हो उसे वचन (Vachan) कहते हैं। वचन का प्रयोग संख्या का बोध करवाने के लिए किया जाता है। मूल भाषा संस्कृत भाषा में तीन वचन (Vachan) होते हैं, लेकिन हिंदी व्याकरण में वचन दो ही होते हैं। संस्कृत भाषा का तीसरा वचन द्विवचन हिंदी में प्रयुक्त नहीं होता है। वचन का प्रभाव संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया पर पड़ता है।
वचन के भेद (Vachan Ke Bhed)
हिंदी व्याकरण में वचन के दो भेद होते हैं।
- एकवचन
- बहुवचन
एकवचन (Ek Vachan)
संज्ञा का वह रूप जिससे एक संख्या का बोध होता हो उसे एकवचन (Ek Vachan) कहते हैं।
बहुवचन (Bahuvachan)
संज्ञा का वह रूप जिससे एक से अधिक संख्याओं का बोध होता हो उसे बहुवचन (Bahuvachan) कहते हैं।
वचन परिवर्तन (Vachan Parivartan)
वचन परिवर्तन का मतलब किसी एक संख्या को अधिक संख्या में व्यक्त करना होता है. किसी भी विकारी शब्द का वचन परिवर्तन उस शब्द के साथ प्रयुक्त कारक विभक्ति चिन्ह के आधार पर किया जाता है। जब किसी शब्द को वाक्य में प्रयुक्त किया जाता है तो वह शब्द या तो किसी कारक विभक्ति के साथ प्रयुक्त होता है या बिना कारक विभक्ति के प्रयुक्त होता है।
हिंदी में किसी शब्द का वचन बदलते समय इसी को (विभक्ति) आधार बनाया जाता है।
जैसे:-
- हाथी दौड़ रहा है।
- हाथी दौड़ रहे हैं।
- हाथी ने फ़सल बर्बाद कर दी।
- हाथियों ने फ़सल बर्बाद कर दी।
उपरोक्त वाक्यों में से पहले दो उदाहरणों में संज्ञा शब्द ‘हाथी’ बिना विभक्ति के वाक्य में प्रयुक्त हुआ है, इसलिए हाथी का बहुवचन (Bahuvachan) हाथी ही होगा। अंतिम दो उदाहरणों में संज्ञा शब्द ‘हाथी’ कारक विभक्ति चिन्ह ‘ने’ के साथ प्रयुक्त हुआ है, इसलिए हाथी का बहुवचन हाथियों होगा।
विभक्ति रहित विकारी शब्दों का वचन परिवर्तन करने के नियम:-
- आकारांत पुंल्लिंग संज्ञा शब्द में ‘आ’ की मात्रा के स्थान पर ‘ए’ की मात्रा लगा देते हैं, अर्थात यदि किसी पुंल्लिंग संज्ञा शब्द के अंत में ‘आ’ स्वर की मात्रा हो तो ‘आ’ की मात्रा को ‘ए’ की मात्रा में बदलकर एकवचन को बहुवचन (Bahuvachan) में बदला जा सकता है।
जैसे:-
- लड़का – लड़के
- पपीता – पपीते
- गमला – गमले
- ताला – ताले
- कपड़ा – कपड़े
- रास्ता – रास्ते
- छाता – छाते
- बछड़ा – बछड़े
- बकरा – बकरे
- संबंधवाचक, उपनामवाचक तथा प्रतिष्ठावाचक पुल्लिंग संज्ञा शब्द जिनके अंत में ‘आ’ की मात्रा आती हो उनमें साला, भानजा, भतीजा, बेटा आदि शब्दों के अतिरिक्त शेष सभी शब्दों का रूप दोनों वचनों में समान रहता है।
जैसे:-
- साला – साले
- भानजा – भानजे
- भतीजा – भतीजे
- बेटा – बेटे
- काका – काका
- चाचा – चाचा
- मामा – मामा
- बाबा – बाबा
- नाना – नाना
- दादा – दादा
- अकारांत / इकारांत / ईकारांत / उकारांत / ऊकारांत पुल्लिंग संज्ञाएँ बिना कारक विभक्ति चिह्न के किसी वाक्य में प्रयुक्त होती हैं तो, इनका एकवचन और बहुवचन (Bahuvachan) रूप एक समान रहता है।
जैसे:-
- दिन – दिन
- फूल – फूल
- भालू – भालू
- भाई – भाई
- हाथी – हाथी
- शिक्षक – शिक्षक
- अकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में ‘अ’ के स्थान पर ‘एँ’ की मात्रा का प्रयोग कर देते हैं, अर्थात यदि किसी स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंत में ‘अ’ स्वर की मात्रा हो तो ‘अ’ की मात्रा को ‘एँ’ की मात्रा में बदलकर एकवचन को बहुवचन में बदला जा सकता है।
जैसे:-
- पुस्तक – पुस्तकें
- कलम – कलमें
- सड़क – सड़कें
- आँख – आँखें
- बहन – बहनें
- आकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में ‘आ’ के स्थान पर ‘एँ’ की मात्रा का प्रयोग कर देते हैं, अर्थात यदि किसी स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंत में ‘आ’ स्वर की मात्रा हो तो ‘आ’ की मात्रा के साथ ‘एँ’ की मात्रा जोड़कर एकवचन को बहुवचन में बदला जा सकता है।
जैसे:-
- बाला – बालाएँ
- कला – कलाएँ
- कविता – कविताएँ
- माता – माताएँ
- शाखा – शाखाएँ
- कक्षा – कक्षाएँ
- इकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘याँ’ जोड़कर तथा ईकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘याँ’ जोड़कर ‘ई’ की मात्रा को लघु कर देते हैं।
आसान भाषा में कहें तो, यदि किसी स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंत में ‘इ’ अथवा ‘ई’ स्वर की मात्रा हो तो ‘इ’ व ‘ई’ की मात्रा को हटाकर ‘इयाँ’ की मात्रा लगा देते हैं।
जैसे:-
- कली – कलियाँ
- स्त्री – स्त्रियाँ
- टोपी – टोपियाँ
- रानी – रानियाँ
- जाति – जातियाँ
- नीति – नीतियाँ
- रीति – रीतियाँ
- यदि किसी स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द के अंत में ‘या’ प्रयुक्त हुआ हो तो ‘या’ के ऊपर चन्द्रबिन्दु (ँ) प्रयोग करने से ही उस शब्द को एकवचन से बहुवचन में बदला जा सकता है।
जैसे:-
- चिड़िया – चिड़ियाँ
- गुड़िया – गुड़ियाँ
- डिबिया – डिबियाँ
- चुहिया – चुहियाँ
- कुटिया – कुटियाँ
- उकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘एँ’ जोड़कर तथा ऊकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘एँ’ जोड़कर ‘ऊ’ की मात्रा को लघु कर देते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो, यदि किसी स्त्रीलिंग शब्द के अंत में ‘उ’ अथवा ‘ऊ’ आया हो तो ऐसे शब्दों को बहुवचन में बदलने के लिए ‘उ’ व ‘ऊ’ को हटाकर ‘उएँ’ लगा दिया जाता है।
जैसे:-
- वस्तु – वस्तुएँ
- वधू – वधुएँ
- बहू – बहुएँ
विभक्ति सहित विकारी शब्दों का वचन परिवर्तन करने के नियम:-
- विभक्ति सहित अकारांत / आकारांत / उकारांत / ऊकारांत संज्ञा शब्दों के साथ ‘ओं’ का प्रयोग करके बहुवचन बनाते हैं।
जैसे:-
- घोड़ा – घोड़ों का / घोड़ों की / घोड़ों को
- लड़का – लड़कों ने / लड़कों को / लड़कों का
- गमला – गमलों से / गमलों पर
- बकरा – बकरों ने / बकरों को / बकरों की
- विभक्ति सहित इकारांत व ईकारांत संज्ञा शब्दों का बहुवचन रूप बनाते समय इकारांत एवं ईकारांत के साथ ‘यों’ जोड़कर, ईकारांत की मात्रा को लघु कर देते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो, यदि किसी विभक्ति सहित संज्ञा शब्द के अंत में ‘इ’ अथवा ‘ई’ प्रयुक्त हुआ हो तो ‘इ’ व ‘ई’ के साथ ‘यों’ जोड़कर ‘ई’ की मात्रा को ‘इ’ में बदल दिया जाता है।
जैसे:-
- लाठी – लाठियों से / लाठियों पर
- अधिकारी – अधिकारियों ने / अधिकारियों की
- जाति – जातियों का / जातियों की
- स्त्री – स्त्रियों ने / स्त्रियों को / स्त्रियों का
एकवचन को बहुवचन में बदलना (Ek Vachan Ko Bahuvachan Main Badalna)
- कुछ एकवचन संज्ञा शब्दों के अंत में जन, लोग, गण, वर्ग, वृन्द, हर, मण्डल, परिषद् जैसे शब्द जोड़कर भी बहुवचन शब्द बनाए जा सकते हैं।
जैसे:-
- गुरु – गुरुजन
- अध्यापक – अध्यापकगण
- युवा – युवावर्ग
- खेती – खेतिहर
- अमीर – अमीर लोग
- ग़रीब – ग़रीब लोग
- नारी – नारीवृन्द
- प्राणी – प्राणीवृन्द
- पाठक – पाठकगण
- बालक – बालकगण
- विधार्थी – विधार्थीगण
- शिक्षक – शिक्षकगण
- शिक्षकगण आने वाले हैं।
- गुरुजन को प्रणाम।
- अमीर लोग बहुत अमीर होते जा रहे हैं।
- देश का युवावर्ग जागरूक है।
- जातिवाचक संज्ञा शब्द सदैव बहुवचन होते हैं, क्योंकि जातिवाचक संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु की संपूर्ण जाति का बोध करवाते हैं जो कि बहुवचन ही होगी।
- शेर जंगल का राजा होता है।
- आम गर्मियों में आता है।
- गाय का दूध हल्का होता है।
- कुत्ता वफादार जानवर है।
- नदी कल-कल बहती है।
उपरोक्त सभी वाक्यों में शेर, आम, गाय, कुत्ता, नदी जातिवाचक संज्ञा शब्द हैं। अतः उपरोक्त सभी उदाहरणों में इनका बहुवचन रूप ही प्रयुक्त हुआ है।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों और भाववाचक संज्ञा शब्दों का प्रयोग जब जातिवाचक संज्ञा शब्दों के रूप में किया जाता है तो वो बहुवचन हो जाते हैं, अन्यथा एक वचन होते हैं।
- यदि किसी एकवचन भाववाचक संज्ञा शब्द ‘पन’ प्रत्यय से बना हो और उसके मूल शब्द के अंत में ‘आ’ हो तो ऐसे शब्दों का बहुवचन बनाते समय ‘आ’ की मात्रा के स्थान पर ‘ए’ ही मात्रा का प्रयोग करते हैं।
जैसे:-
सीधापन – सीधेपन
- आमतौर पर द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द एकवचन ही होते हैं, लेकिन जब कोई द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द किसी द्रव्य की जाति का बोध करवाता है तो इनका बहुवचन रूप ही प्रयुक्त होता है।
- हिंदी के बहुत से ऐसे शब्द होते हैं, जिनका प्रयोग सदैव बहुवचन के अर्थ में ही होता है। जैसे:- समाचार, प्राण, दाम, लोग, होश, भाग्य, दर्शन, गण, जाति, वर्ग, हस्ताक्षर, आँसू, होठ, कान, आंख, नेत्र, अक्षत, बाल, रोंगटे, तेवर इत्यादि।
- यह कितने दाम का है।
- लोग हंस रहे हैं।
- राधा अक्षत लेकर आओ।
- मेरे बाल सफ़ेद हो गए हैं।
- आज के समाचार सुनने लायक नहीं हैं।
- तुम्हारे नेत्र बहुत ख़ूबसूरत हैं।
- हिंदी के बहुत से ऐसे शब्द भी होते हैं जिनका प्रयोग सदैव एकवचन के रूप में होता है। जैसे:- जनता, वर्षा, हवा, आग, प्रजा, भीड़, सेना, पुलिस, पानी इत्यादि।
- वर्षा हो रही है।
- हवा चल रही है।
- जनता जनार्दन होती है।
- पुलिस आ रही है।
- भीड़ लगातार बढ़ रही है।
- बच्चों को आग से दूर रखना चाहिए।
- प्रत्येक, हर एक तथा हर कोई का प्रयोग एकवचन में होता है।
- प्रत्येक व्यक्ति से अनुरोध है कि शांत रहे।
- हर एक आदमी का कर्म ही उसका भगवान होता है।
- हर कोई अमीर होना चाहता है।
- आदर या सम्मान सूचक शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। आदर सूचक शब्दों का प्रयोग व्यक्तिवाचक अथवा उपनाम वाचक संज्ञाओं के साथ किया जाता है।
महाराज, साहब, महाशय, जी, बहादुर, शास्त्री, स्वामी इत्यादि शब्द आदर सूचक शब्द होते हैं।
- शंकर जी आए हैं।
- मोदी साहब कल जयपुर आएंगे।
- गिरिराज महाराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
- स्वामी जी ही कोई उपाय बताएंगे।
- ‘अनेक’ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयुक्त होता है। अनेक का एकवचन ‘एक’ होता है।
- ‘है’ का बहुवचन ‘हैं’ होता है।
FAQs
वचन का शाब्दिक अर्थ क्या है?
वचन का शाब्दिक अर्थ संख्या होता है.
वचन के प्रकार कितने होते हैं?
वचन के दो प्रकार होते हैं.
वचन किसे कहते हैं कितने भेद होते हैं?
विकारी शब्द के जिस रुप से संख्या का बोध होता हो उसे वचन (Vachan) कहते हैं। वचन के दो भेद होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
चिड़िया का बहुवचन क्या होता है?
चिड़िया का बहुवचन चिड़ियाँ होता है.
नदी का बहुवचन क्या होता है?
नदी का बहुवचन नदियाँ होता है.
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